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Overconfident Jerk

दिल्ली

Capital Heights University of Law कॉलेज के मॉक ट्रायल रूम में एक अलग ही माहौल था। यहाँ IIM के सीनियर्स का इंटरनल मॉक ट्रायल कम्पटीशन चल रहा था।

ऑडियंस में कुछ प्रोफेसर्स, कुछ स्टूडेंट्स और बाकी सीनियर्स बैठे हुए थे। सामने जज की ऊँची बेंच थी, दोनों तरफ टेबल्स थीं जहाँ प्रॉसीक्यूशन और डिफेंस टीम खड़ी थी।

वहीं उन सबके बीच एक लड़का खड़ा हुआ था चेहरे पर कॉन्फिडेंट, एकदम कंपोज़्ड, सिचुएशन में शांत सा, लेकिन गुरूर उसके चेहरे पर झलक रहा था।

वो इस वक्त प्रॉसीक्यूशन साइड से आर्ग्युमेंट कर रहा था और वो था अर्ध ओबेरॉय।

अर्ध एग्रेसिव टोन में बोला, “And that's why the defendant deserve no relief under this clause, my lord.”

तभी एक ऊँची, थोड़ी शार्प आवाज़ आई —  “Objection, my lord! ये आर्ग्युमेंट लॉजिकल नहीं है क्योंकि ये क्लॉज़ तो एक completely different case law से जुड़ा है।”

पूरे हॉल में एकदम से सन्नाटा छा गया। किसी की हिम्मत नहीं होती थी बीच में बोलने की, लेकिन यहाँ किसी की आवाज़ आई थी। सबने घुर कर उसे देखा व्हाइट शर्ट, ब्लैक ब्लेज़र और ब्लैक पैंट में, पोनीटेल बनाकर खड़ी हुई थी वो वही लड़की।

अर्ध की नज़रें जब उस पर पड़ीं तो वो कुछ पल उसे देखता रहा, फिर अपने कदम उसकी तरफ बढ़ाए और उसके सामने आकर बोला, “Interesting… objection overruled. और हाँ, मिस, ये ट्रायल क्लासरूम नहीं, कम्पटीशन चल रहा है। ऑडियंस साइड से ऑब्जेक्शन लेने का कोई रूल नहीं है।”

अर्ध के इस तरह बात करने पर वो लड़की थोड़ा घबरा गई, फिर हिम्मत जुटाकर बोली, “पर आपका आर्ग्युमेंट फिर भी गलत था।”

अर्ध तिरछी मुस्कुराहट के साथ बोला, “और तुम्हारी एंट्री पूरी तरह गलत है।”

उसकी बात सुनकर पूरा हॉल एकदम से हँस पड़ा। उस लड़की ने चारों तरफ नज़र घुमाकर देखा, फिर अर्ध को देखा।

अर्ध थोड़ी सी सर्द आवाज़ में बोला, “फ्रेशर्स को यहाँ एंट्री की इजाज़त नहीं है। और नेक्स्ट टाइम ऑब्जेक्शन से पहले सब्जेक्ट पढ़ लेना, समझी? Now get lost.”

उसके इस तरह से बात करने पर लड़की के चेहरे के एक्सप्रेशन बिगड़ गए। वो उसे घूरते हुए बोली, “जब सामने वाले के बारे में पता नहीं होता ना, तो ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए।”

अर्ध ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और बोला, “सीनियर तुम हो नहीं, फ्रेशर हो, राइट? तो कुछ गलत नहीं बोला मैंने। जो यहाँ से यहाँ तुम्हारा कोई काम नहीं है।”

वो अभी भी अर्ध को घूर रही थी। कुछ पलों बाद घूमी और पैर पटकते हुए वहाँ से चली गई।

बाहर आकर वो बोली, “फना! क्या मिल गया तुझे अपनी बेइज्जती करवाकर? क्या ज़रूरत थी बीच में बोलने की? और वो सीनियर समझते क्या हैं खुद को? छोड़ूंगी नहीं उसे।”

ये बोलते हुए उसके चेहरे पर इरिटेशन साफ़ नज़र आ रही थी। अभी तक फना को अर्ध के बारे में पता नहीं था कि वो कौन है और क्या है। वो तो बस ओरिएंटेशन हॉल ढूँढते-ढूँढते गलती से वहाँ पहुँच गई थी।

और जब उसने वहाँ का माहौल देखा, तो वहीं बैठकर बहस सुनने लगी थी। वहाँ डेमो चल रहा था, और जब उसे चीज़ गलत लगी, तब उसने ऑब्जेक्शन किया था।

उसने किसी से हॉल के बारे में पूछा तो उसे पता चला कि वो जिस डायरेक्शन से आई है, उसी में जाना है। तो वो वापस पलट गई, लेकिन वो अभी भी खुद में बड़बड़ा रही थी क्योंकि उसे अर्ध पर गुस्सा आ रहा था।

वो खुद से बोली, “यहां तो बोलना ही बेकार है, कोई सुनने को तैयार नहीं होता। पता नहीं कैसे-कैसे लोग हैं। अगर गलत है तो अपनी गलती माननी चाहिए ना! लेकिन नहीं, सामने वाले को अगर दिखानी है बढ़ाई, तो मुझे अकड़ दिखाने वाला! आगे देख लूंगी मैं कभी तो मिलेगा मुझे! और क्या कहा था उसने overruled! एटीट्यूड दिखा रहा था जैसे सुप्रीम कोर्ट का जज हो!”

तभी अचानक फना के कदम अपनी जगह रुक गए क्योंकि अर्ध दीवार के सहारे खड़ा हुआ था। उसके हाथ में उसकी फाइल थी और उसकी नज़रें फना पर थीं, जो इस तरफ आ रही थी।

उसे देखकर वो हल्का सा मुस्कुराया और बोला, “तो मिस, ऑब्जेक्शन को बीच में घुसने की आदत है? या बस जो मुँह में आता है वो बोल देती हो? या फिर उनमें से हो जो बिना बुलाए कोर्टरूम में जस्टिस देने चली आती हैं?”

फना जल्दी से बोली, “जस्टिस नहीं, लॉजिक दे रही थी मैं, जो शायद तुम्हें सुनाई नहीं दिया। लगता है तुम्हारा लॉजिक मिला हुआ है, और उसके साथ तुम बहरे भी हो!”

जैसे ही अर्ध ने उसकी बात सुनी, उसके एक्सप्रेशन बदल गए। वो उसे घूरते हुए बोला, “तुम्हें पता है ना कि मैं कौन हूँ? नहीं पता, तो इतना बता देता हूँ कि मैं तुम्हें rusticate भी करवा सकता हूँ।”

अर्ध की बात सुनकर फना उसे घूरते हुए बोली, “धमकी दे रहे हो मुझे?”

अर्ध मुस्कुराकर बोला, “धमकी नहीं, रियालिटी बता रहा हूँ। सीनियर हूँ तुम्हारा, तमीज़ से बात करो। बदतमीज़ी करोगी तो इस कॉलेज से बाहर निकालने में मुझे टाइम नहीं लगेगा।”

फना जल्दी से बोली, “तुम यही करते हो क्या? जो लोग तुम्हें सही-गलत के बारे में बताते हैं, उन्हें इस कॉलेज से बाहर फेंक देते हो? या जो लोग तुम्हारे सामने थोड़ा सा मुँह खोलते हैं, उन्हें रस्टिकेट करवा देते हो?

शायद तुम्हें डर लगता होगा, राइट? कि कहीं तुम जो ओवरस्मार्ट बनते घूमते हो, तुम्हारी स्मार्टनेस मिट्टी में ना मिल जाए!”

अर्ध तिरछी मुस्कुराहट के साथ बोला, “अर्ध ओबेरॉय स्मार्ट है। तुम जैसे लोग खुद को ओवरस्मार्ट समझते हैं, जिनके पास दिमाग नहीं होता समझी? अगर मैं स्मार्ट नहीं होता, तो इस कॉलेज का टॉपर नहीं होता।”

फना ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और बोली, “वाह! खुद के मुँह से मियाँ मिट्ठू बन रहे हो? और ये बताओ, खुद को टॉपर बता कर क्या करना चाहते हो मुझे इम्प्रेस?”

उसकी बात सुनकर अर्ध हल्का सा हँसा और बोला, “तुम्हें इम्प्रेस करूँ मैं? क्या लगता है तुम्हें, मैं फ्री हूँ? तुम्हारे ऊपर टाइम वेस्ट करूँगा? और तुम हो कौन फ्रेशर, राइट? जिसके पास दिमाग बिल्कुल भी नहीं है।”

ये बोलते हुए वो वहाँ से चला गया। फना अपने दाँत पीसते हुए उसे देखती रह गई। वो खुद से बोली, “इस कॉलेज में रहना है तो इसे झेलना पड़ेगा। पता नहीं खुद को समझता क्या है ये!”

ये बोलते हुए वो पैर पटकते हुए वहाँ से चली गई।

शाम का वक्त था, कॉलेज छूट चुका था। फना इस वक्त कॉलेज के बाहर थी। वो अपनी बुक्स बैग में रख रही थी और हॉस्टल की तरफ जा रही थी कि तभी एक फुल स्पीड में बाइक उसकी बगल से होकर गुज़री।

वो बिल्कुल फना के पास से गुज़री थी, जिससे फना डर गई।

वो गाली देते हुए बोली, “साले! अंधा है क्या? दिखाई नहीं देता?”

तो आगे जाकर वो बाइक एकदम से रुक गई, और

जो बाइक चला रहा था, उसने अपना हेलमेट निकालकर पीछे पलटकर देखा तो फना की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।

दिल्ली, इंडिया, शाम का वक्त

फना ने सामने देखा तो उसके सामने इस वक्त अर्ध खड़ा हुआ था, अपनी बाइक पर। होठों पर वही आधी सी मुस्कुराहट थी, जैसे पता था कि उसने क्या किया है।

फना गुस्से में बोली, “तुम! तुम्हारा हर जगह टपकना जरूरी है क्या?”

अर्ध ने बाइक साइड में लगाई और उसके पास आकर उसे देखकर बोला, “क्या मतलब है ‘हर जगह टपकना जरूरी है’? ये रोड है, जो सबके लिए फ्री है, राइट?”

फना जल्दी से बोली, “रोड फ्री है, लेकिन तुम्हें अंदाज़ा भी है कि तुम्हारी बाइक की स्पीड कितनी ज़्यादा तेज़ थी! अगर एक सेकंड भी इधर से उधर होता तो—”

अर्ध उसकी बात बीच में काटते हुए बोला, “तो क्या तुम्हें चोट लग जाती? या फिर Miss Objection का सारा लॉजिक उड़ जाता?”

फना अपने दांत पीसते हुए बोली, “तुम जैसे लड़के अपनी अकड़ में रहते हैं, बाकी किसी को कुछ समझते ही नहीं हैं।”

अर्ध हल्का सा उसके चेहरे के करीब झुका और बोला, “और तुम जैसी लड़कियां बिना किसी को जाने जज कर लेती हैं। सुना नहीं है  ‘Don’t object before understanding the case’? शायद तुम्हारे लिए लिखा गया है। By the way, see you around, Miss Objection.”

बोलकर वो अपनी बाइक की तरफ बढ़ गया। फना के मुंह से बस इतना निकला, “Overconfident jerk.”

वो अपनी बाइक पर बैठा और हेलमेट लगाकर वहां से धूल उड़ाता हुआ चला गया।

फना बस उसे देखती रह गई, गुस्सा उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था। वो खुद से बोली, “पता नहीं क्या होगा, ये तो पीछे ही पड़कर रह गया है।”

बेचारी कुछ कर भी नहीं सकती थी। वो फ्रस्ट्रेशन के साथ अपने हॉस्टल पहुंची।

अपने कमरे में जाकर उसने बैग को सीधा बेड पर फेंका, तो उसकी रूममेट नंदिनी अपने कानों से इयरफ़ोन निकालते हुए बोली, “ओ हेलो! तू ऐसे क्यों लग रही है जैसे किसी ने कोर्टरूम में तुझे बहुत बुरी तरह से हराया है?”

उसकी बात सुनकर फना ने घूरते हुए उसे देखा, तो नंदिनी जल्दी से बोली, “अरे यार, लोग इस तरह से इरिटेट तभी होते हैं जब वो किसी से हार जाते हैं। और अभी तो तुम स्टूडेंट हो, राइट टू हरी नहीं हो। पता क्या हुआ?”

वो इरिटेट होकर बोली, “हराया किसी ने नहीं है, बल्कि बेइज्जत किया है  उस मिस्टर ओवर कॉन्फिडेंस ने।”

नंदिनी धीरे से बोली, “कौन ओवर कॉन्फिडेंस?”

फना दांत पीसते हुए बोली, “मिस्टर अर्ध ओबेरॉय — कैपिटल हाइट्स का टॉपर, अकड़ का बादशाह, सबका फेवरेट सीनियर, लेकिन दिमाग से पैदल।”

नंदिनी एकदम से बोली, “वेट… द अर्ध ओबेरॉय? वही जो पिछले साल इंटर यूनिवर्सिटी ट्रायल जीता था?”

फना गुस्से में बोली, “हां वही! और तुझे पता है, उसने मुझे कॉलेज से रस्टिकेट करने की धमकी दे दी, जैसे प्रिंसिपल उसकी जेब में बैठा हो!”

नंदिनी उसे देखकर बोली, “तूने उससे कुछ ऐसा-वैसा तो नहीं बोला ना? देख, उसकी कॉलेज में चलती है। अगर तू—”

नंदिनी की बात सुनकर फना उसे घूरते हुए बोली, “मुझे उसके बारे में बात नहीं करनी, और तू अपना मुंह बंद कर। वैसे ही मेरा दिमाग खराब है।”

इतना बोलकर वो वहां से बाथरूम में चली गई।

अगला दिन, कैपिटल हाइट्स यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, ऑडिटोरियम हॉल

फना नंदिनी के साथ अंदर आई तो उसके कदम धीमे पड़ गए। हॉल का माहौल किसी मिनी कोर्ट से कम नहीं था सामने सीनियर्स की ज्यूरी सीट और बीच में एक माइक। चारों तरफ फ्रेशर्स की भीड़ थी।

फना धीरे से बड़बड़ाई, “ये क्या चल रहा है यहां?”

नंदिनी मुस्कुराकर बोली, “फ्रेशर्स का इंट्रोडक्शन यहां का थोड़ा सा अलग है। हर साल इस कॉलेज में ‘फ्रेशर्स कोर्ट’ के नाम से एक प्रोग्राम होता है। मतलब बाकी कॉलेज की तरह सिर्फ स्टेज पर ‘हाय, आई एम सो एंड सो’ वाला इंट्रो नहीं होता। यहां मूट कोर्ट रूम स्टाइल में होता है।

फ्रेशर्स को बुलाया जाता है स्टेज पर, और वहां सीनियर स्टूडेंट बैठे होते हैं जैसे जज पैनल होता है ना? वो सीनियर्स फ्रेशर्स से लॉ और कुछ फन सवालों के जरिए थोड़ा बहुत मज़ाक करते हैं, उनका टेस्ट करते हैं और थोड़ा बहुत इंट्रो भी।”

फना नंदिनी को देखकर बोली, “मतलब यहां फ्रेशर्स को एक केस की तरह पेश किया जाता है?”

नंदिनी मुस्कुराकर बोली, “हां! और आज तेरा केस पेश होना है।”

फना धीरे से बोली, “केस नहीं… कन्फेशन होगा शायद, क्योंकि कल जिसने मुझे लताड़ा था, वो सामने बैठा है।”

इस वक्त अर्ध ओबेरॉय जज पैनल में बैठा हुआ था। उसने ब्लैक कलर का ब्लेज़र पहन रखा था परफेक्टली काम और कॉन्फिडेंट नजर आ रहा था।

उसकी नज़रें एक पल के लिए उठीं और सीधा फना से जा टकराईं बस दो सेकंड। अगले ही पल उसने अपनी नज़रें फेर ली थीं।

माइक पर वाइस-प्रेसिडेंट धीरे-धीरे स्टूडेंट्स को बुला रहे थे, और जज पैनल में बैठे सीनियर्स उनसे सवाल पूछ रहे थे।

तभी वाइस-प्रेसिडेंट की आवाज़ फना के कानों में गूंजी 

“Next, Miss Fanaa Khurana — LLB First Year.”

नंदिनी ने उसे धक्का दिया और बोली, “जा, अपनी सुनवाई खुद कर!”

फना गहरी सांस लेकर स्टेज की तरफ बढ़ गई।

जब लोगों ने उसे देखा, तो कुछ लोग पहचान गए थे — जो ट्रायल रूम में थे। उन लोगों के बीच फिर से आहत हो रही थी।

माइक के सामने खड़ी फना हल्का सा मुस्कुराई और बोली, “Good morning, seniors… and congratulations on successfully scaring the freshers already.”

जैसे ही सबने उसकी बात सुनी, हॉल में हल्की सी हंसी गूंज गई। अर्ध चुपचाप फना को देख रहा था, लेकिन उसकी आंखों में हल्की सी मुस्कुराहट थी।

फना एक बार फिर से बोली, “मुझे पता है मैं न्यू हूं, और शायद कल कुछ लोगों के ऊपर मेरी पहली इम्प्रेशन इतनी स्वीट नहीं थी।”

वो कुछ पल रुकी, फिर अर्ध की तरफ देखा और बोली, “Actually, वो bitter-sweet थी थोड़ी logic, थोड़ी objection, और थोड़ी misunderstanding।”

जितने भी सीनियर्स वहां बैठे थे, वो मुस्कुराने लगे, क्योंकि कल उन्होंने उसे देखा था।

अर्ध फना को देखकर बोला, “क्या आप हर जगह objection लेकर आती हैं, या फिर जहां मैं होता हूं, वहीं आपका objection आता है?”

फना एकदम से बोली, “Sir, मैं सिर्फ वही objection उठाती हूं, जहां argument कमजोर होता है।”

उसकी बात सुनकर अर्ध ने एक सेकंड उसे घूरा और फिर धीरे से बोला, “Impressive. But remember — कोर्टरूम में tongue sharp होना काफी नहीं है, logic भी strong होना चाहिए।”

फना मुस्कुराई और बोली, “Noted, my Lord.”

बोलकर वो वहां से नीचे उतर आई। वो अर्ध की बगल से होकर गुजरी, तो अर्ध की धीमी आवाज़ उसके कानों में गई, “Welcome to

Capital Heights, Miss Objection.”

फना पलटी नहीं — वो सामने देखते हुए बोली, “Thanks, Mr. Overruled.”

इंट्रोडक्शन खत्म हो चुका था। फना बेंच पर बैठी हुई थी। वो खुद से बोली, “अगर आज दुबारा वो Mr. Overruled मुझे टकराया तो मैं खुद को रस्टिकेट करवा लूंगी।”

नंदिनी, जो उसकी बगल में बैठी हुई थी, हल्का सा मुस्कुराई और बोली, “तू ऐसे कसम मत खा, वरना यूनिवर्स सुन लेगा।”

तभी पीछे से किसी की ठंडी और कॉन्फिडेंट आवाज आई, “लगता है यूनिवर्स ने सुन लिया।”

दोनों ने पलटकर देखा तो फना के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए। पीछे अर्ध खड़ा हुआ था। उसने अपना ब्लेज़र नहीं पहना था।

कैज़ुअल व्हाइट शर्ट में उसकी स्लीव्स ऊपर की तरफ फोल्ड थीं। चेहरे पर वही arrogance, आंखों में एक अलग ही confidence।

नंदिनी धीरे से बोली, “तेरा मिस्टर ओवररूल्ड…।”

फना दांत पीसते हुए बोली, “हां… और अब तो ये मिस्टर Attention-seeker भी लग रहे हैं।”

अर्ध उसके सामने आकर खड़ा हुआ और बोला, “गलतफहमी में हो तुम। मुझे किसी की attention की जरूरत नहीं है। लोग खुद मुझे tension देते हैं… जैसे तुम।

तुम्हारे दिल और दिमाग में कल से मैं ही घूम रहा हूं। ना चाहते हुए भी तुम मुझे attention दे रही हो। And you know what… I like it.”

फना गुस्से में बोली, “तुम भी बहुत बड़ी गलतफहमी में हो कि मैं तुम्हें attention दे रही हूं। बिल्कुल भी नहीं। बस कल से तुम्हारे ‘बस लॉजिक’ ने मेरा दिमाग खराब कर रखा है। और वैसे भी objection overruled नहीं होता, sustained होता है जब logic सही हो… जो तुम भूल गए हो। सीखने की जरूरत है तो पहले अपनी Law को ठीक से पढ़ो, तब दूसरों को ज्ञान दो।”

इतना बोलकर उसने नंदिनी का हाथ पकड़ा और खींचते हुए वहां से ले गई। अर्ध हल्का सा मुस्कुराया और बोला, “So, Miss Khurana wants a war?… Fine. Let’s play.”

इंट्रो खत्म हो चुका था और फना इस वक्त कैफेटेरिया में बैठी थी। गुस्से में उसका चेहरा अभी भी लाल था। सामने ट्रे में कॉफी रखी हुई थी जो अब तक ठंडी हो चुकी थी। उसके जहन में सिर्फ एक ही नाम चल रहा था अर्ध।

जैसा कि अर्ध ने कहा था कि वो उसे attention दे रही है… और वो सच मे उसे tension दे रहा था। वो खुद से बड़बड़ा रही थी, “खुद को समझता क्या है? पहले मुझे rusticate करने की धमकी देता है और अब पता नहीं कौन-सा Law का God बना फिर रहा है। ओबेरॉय ना हुआ, चलता-फिरता ego बन गया है!”

तभी नंदिनी धीरे से बोली, “तुझे उससे इस तरह भिड़ना नहीं चाहिए था। तुझे पता है ना वो कौन है? Law Committee का Head है। तीन बार Mock Court winner है वो… और Dean का favourite।”

फना झुंझलाहट के साथ बोली, “तो क्या हुआ? अगर वो topper है तो बाकी सब backbencher हैं क्या? अगर मैं गलत होते हुए देखूं तो बोलूंगी। Law में यही सिखाते हैं ना… truth matters! खैर, मुझे इस बारे में बात नहीं करनी। मेरी class है, मैं जा रही हूं।”

नंदिनी बोली, “मेरा भी class है, मैं भी चल रही हूं।”

वो दोनों अपने क्लासरूम में आराम से बैठ गए थे और प्रोफेसर मीरा कपूर, जो Law Faculty Head थीं, क्लास अटेंड कर रही थीं। वो सारे स्टूडेंट्स को देखते हुए बोलीं:

“जैसा कि आप सब जानते हैं, Capital Heights में हर स्टूडेंट को पहले साल Law Club में साइन किया जाता है, जहां आप seniors के साथ mock trials, drafting और debating पर काम करते हैं। और आप लोगों को seniors के साथ teams में divide किया जाएगा।”

इतना बोलकर उन्होंने अपनी फाइल उठाई और एक-एक करके टीम और उसके Head का नाम लेना शुरू किया।

तभी उन्होंने सामने देखते हुए कहा, “अर्ध ओबेरॉय Club Head. And साथ में होंगी फना खुराना।”

जैसे ही फना ने अपना नाम सुना, उसके हाथ में पकड़ा पेन नीचे गिर गया।

नंदिनी धीरे से फुसफुसाई, “किस्मत भी तेरे साथ flirt कर रही है।”

फना घूरते हुए बोली, “तू अपना मुंह बंद करेगी!?”

नंदिनी मुस्कुरा कर बोली, “मैं तो मुंह बंद कर लूंगी, लेकिन अब तू इसके साथ फंसने वाली है। बहुत गलत पंगा लिया तूने। पता नहीं कैसे torture करेगा वो… कॉलेज में नाम है उसका। शुक्र मना अभी तक उसने तेरे साथ कुछ नहीं किया। वरना ragging भी वो बहुत अच्छे से करता है।”

फना जल्दी से बोली, “लेकिन ये तो law के खिलाफ है ना? अगर उसने मेरे साथ ऐसा कुछ किया तो मैं complaint कर दूंगी।”

नंदिनी धीरे से बोली, “सोचना भी मत complaint करने के बारे में। क्योंकि उसे कुछ होगा नहीं। उल्टा तू फंस जाएगी। या तो तुझे कॉलेज छोड़ना पड़ेगा या फिर तुझे निकाल दिया जाएगा।”

फना हैरानी से उसे देखती रह गई। वह बड़बड़ाई, “क्या मतलब? कहीं का तानाशाह है क्या?”

तभी उसकी नज़र क्लासरूम के दरवाज़े पर गई अर्ध वहां खड़ा हुआ था। उसने अपनी दोनों बांहें मोड़ रखी थीं और होंठों पर हल्की-सी मुस्कुराहट थी। वह सिर्फ फना को देख रहा था।

फना खुद से बोली, “मुझे illusion हो रहा है क्या? ये सच में मेरे सामने है?”

नंदिनी उसके कान के पास झुककर बोली, “कोई illusion नहीं… सच में वही है। और तुझे देखकर ही मुस्कुरा रहा है। मानना पड़ेगा, यहां तक चलाया तेरे पीछे… कुछ ज्यादा ही interest है उसे तुझमें। शायद तूने अपने लिए बहुत गहरा गड्ढा खोद लिया है, जिससे अब तू बाहर नहीं निकल सकती।”

अर्ध अंदर आता हुआ बोला, “Hello, Professor. I think आपने बता दिया होगा कि मेरे साथ कौन student काम करने वाला है। तो क्या मैं अपनी team-member को लेकर जा सकता हूं?”

प्रोफेसर ने कहा, “Of course. फना, तुम अर्ध की team में हो। तुम्हें पता है ना तुम्हारी Team Head को तुम्हारी जरूरत है। तुम उसकी help के लिए जा सकती हो।”

फना धीरे से बोली, “लेकिन प्रोफेसर, अभी lecture complete नहीं हुआ है।”

अर्ध तुरंत बोला, “Don't worry, कुछ भी miss नहीं करने दूंगा। मैं हूं ना मैं तुम्हें पढ़ा दूंगा। लेकिन उससे पहले तुम्हारी help की जरूरत है। तुम मेरी help करोगी तो उससे तुम्हारी भी help हो जाएगी। Come on, let’s go।”

इतना बोलकर वो आगे बढ़ गया, और फना को मन मारकर उसके पीछे जाना पड़ा।

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