
दिल्ली, इंडिया – Law Club Room
अर्ध फना को लेकर क्लब रूम में पहुँचा तो फना की नज़रें चारों तरफ थीं टेबल पर फाइल बिखरी हुई थीं और लोगों के सामने बुक्स का ढेर लगा हुआ था। बाकी सब अपने सीनियर के साथ ग्रुप में काम कर रहे थे।
अर्ध, फना को देखकर बोला, “आओ मेरे साथ।”
ये बोलते हुए वो अपनी डेस्क पर गया और वहाँ से एक फाइल उठाकर उसने वो फाइल फना की तरफ बढ़ाई और बोला, “ये केस ब्रीफ कर दो सिर्फ 300 शब्द में, प्रॉपर लीगल पॉइंट्स के साथ।”
फना ने वो फाइल अर्ध के हाथ से ली और बोली, “300 शब्द में तो तुम्हारा attitude का preface भी नहीं आएगा, तो ये कैसे case brief कर दूँ मैं?”
अर्ध ने अपनी एक आइब्रो उठाई और बोला, “You are free to object, but it won’t be sustained।”
फना मुस्कुराकर उसे फाइल वापस पलटती हुई बोली, “You are underestimating my arguments, श्री ओबेरॉय।”
अर्ध उसके हल्का सा करीब झुका और बोला, “And you are overestimating your charm, मिस खुराना। चुपचाप अपना काम करो और फ़ालतू की बकवास नहीं।”
इतना बोलकर वो वहीं सामने वाली चेयर पर बैठ गया।
लगभग 20 मिनट बाद फना ने वो फाइल अर्ध की तरफ बढ़ाई और बोली, “ये लो, तुम्हारा काम कर दिया। और कुछ?”
अर्ध ने उसके हाथ से फाइल ली और बोला, “देखूँ तो… काम किया है या फिर बस कुछ भी उल्टा-सीधा लिखा है।”
इतना बोलते हुए वो फना के दिए हुए ड्राफ्ट को पढ़ रहा था चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे।
लगभग 10 मिनट बाद उसने गहरी साँस ली और बोला, “Not bad… logic sharp है।”
फना मुस्कुराते हुए बोली, “मेरे logic हमेशा sharp ही होते हैं, वो बस तुम अपने attitude के आगे उन्हें देख नहीं पाते हो। attitude की पट्टी बंध जाती है ना।”
अर्ध ने उसकी बात सुनी तो उसकी आँखें थोड़ी सिकुड़ गईं। वो उसकी आँखों में देखकर बोला, “कुछ ज़्यादा ही ज़ुबान नहीं चलती तुम्हारी? थोड़ा सोच-समझकर बोला करो, कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी ज़ुबान तुम्हारे लिए मुसीबत खड़ी कर दे। आज के लिए इतना काफ़ी है जाकर अपने lecture attend कर सकती हो।”
इतना बोलकर उसने लैपटॉप पर अपनी उंगलियाँ चलाना शुरू कर दिया।
फना ने कुछ पल उसे घूरकर देखा और वहाँ से जाने लगी। तभी अर्ध की आवाज़ उसके कानों में गई—
“और हाँ, कल sharp 12:00 p.m. मुझे तुम इस रूम में चाहिए। कोई बहाना नहीं… क्योंकि मुझे बहाने सुनने की आदत नहीं है।”
ये बात उसने लैपटॉप पर नज़रें टिकी रखते हुए बोली थी।
फना चुपचाप वहाँ से चली गई। वो खुद से बोली, “मन तो करता है कि इसका सर फोड़ दूँ… लेकिन ये possible नहीं है। पता नहीं कल कौन सा नया बखेड़ा खड़ा करेगा।”
ये बोलते हुए वो अपने classroom में पहुँची, आगे के lecture अटेंड किए और वहाँ से नंदिनी के साथ हॉस्टल चली गई।
रात – हॉस्टल रूम
फना इस वक्त हॉस्टल रूम में थी। वो अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी। आँखें नींद से भारी हो रही थीं लेकिन सो नहीं सकती थी।
वो खुद से बोली, “क्या मुसीबत है… टीम का head इतना खड़ूस है। क्या आधी रात को बैठकर काम करवाता है?”
अर्ध ने उसे कुछ काम दिया था, जो उसे जल्द से जल्द देना था, इसलिए वो अभी बैठकर काम कर रही थी। हालाँकि काम कम और उबासियाँ ज़्यादा ले रही थी।
लगभग रात को 1 बजे काम ख़त्म हुआ, तब जाकर वो सोई थी।
अगला दिन – कॉलेज
फना आज लेट कॉलेज पहुँची थी और वो सीधा वहाँ से mock trial room की तरफ बढ़ गई।
वो सीधा अंदर घुसी चली आई। तभी उसकी नज़र अर्ध पर गई, जो अपने लैपटॉप के सामने बैठा हुआ था और उसके नोट्स वहीं सामने बिखरे हुए थे। वो पूरी attention के साथ कुछ पढ़ रहा था।
तभी अर्ध, बिना सर उठाए धीरे से बोला, “You are late।”
फना irritate होते हुए बोली, “आपने clock invent किया है क्या?”
अर्ध ने नज़रें उठाकर उसे घूरा और बोला, “नहीं, बस punctuality की आदत है।”
फना बड़बड़ाकर बोली, “अच्छा है… कम से कम कोई आदत तो अच्छी है।”
अर्ध उसे घूरते हुए बोला, “लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि तुम्हारी एक भी आदत अच्छी नहीं है। चुपचाप काम पर focus करो… फ़ालतू की बकवास पर नहीं।”
उसकी बात सुनकर फना के expressions बदल गए।
वो irritate होते हुए बोली, “जब हम किसी के बारे में जानते नहीं हैं, तो उसे judge भी नहीं करना चाहिए… ये बात तो आपको नहीं पता।
अगर नहीं पता, तो मैं आपको बता रही हूँ आगे से याद रखना। क्योंकि आप फ़ालतू में लोगों को ताने बहुत मारते हो।”
ये बोलते हुए वो चुपचाप उसके सामने आकर बैठी और अपना लैपटॉप खोलते हुए बोली, “और हाँ… अगली बार से मुझे आधी रात को काम देने की ज़रूरत नहीं है। जो भी काम है, वो मुझे यहीं बोलोगे और मैं यहीं करूँगी। हॉस्टल जाकर मैं आधी रात को तुम्हारे फ़ालतू के काम लेकर नहीं बैठूँगी।
उल्लू की तरह जागती रहती हूँ… और तुम आराम से रात को सोते हो, राइट? क्योंकि अपना काम तो तुम दूसरों के सर पर डाल देते हो!”
अर्ध धीरे से बोला, "फिनिश्ड?"
फना उसी घूरते हुए बोली, "और अगर बोलूं नहीं तो?"
अर्ध ने उसकी बात को इग्नोर किया और बोला, "सबसे पहले, मेरे काम को फालतू बोलने की हिम्मत मत करना। और दूसरी बात, रात को जागना तुम्हें इतना ही बुरा लगता है? तो काम टाइम पर किया करो सिंपल।"
फना गुस्से से बोली, "एक्सक्यूज मी, मैंने कंप्लीट किया।"
अर्ध ने हल्का सा मुस्कुराया और बोला, "कल रात, ये फाइल मुझे 11:00 बजे तक चाहिए थी, और तुमने 1:00 बजे भेजी। 2 घंटे लेट।"
फना अपने दांत पीसते हुए बोली, "क्योंकि तुमने लास्ट मिनट में दिया था। और भेजने का टाइम तब होता है जब काम पूरा हो जाए। मैजिक नहीं कर सकती मैं। हाथ तो चला सकती हूं और दिमाग चला सकती हूं, कोई जादू नहीं आता मुझे।"
अर्ध ने अपना सर पीछे सीट से टिकाया और बोला, "तुम एक्सक्यूज में बहुत स्मार्ट हो, मिस खुराना, लेकिन काम में उतनी नहीं।"
फना उसे घूरते हुए बोली, "क्या बात है मतलब? मैं ये फाइल 2 घंटे पहले दे देती तो तुम मुझे प्राइस दे देते? कौन सा प्राइस देने वाले थे? राष्ट्रीय पुरस्कार?"
अर्ध मुस्कुराते हुए बोला, "फनी, लेकिन यहां जोक्स के लिए समय नहीं है। चलो, काम शुरू करो।"
फना बड़बड़ाकर बोली, "हमेशा इतना रूड क्यों रहता है? लगता है बचपन में किसी ने कैंडी छीन ली थी।"
तभी अर्ध की ठंडी आवाज उसके कानों में गई, "तुम्हें काम पर फोकस करना चाहिए, मेरे बचपन पर नहीं।”
अर्ध की बात सुनकर फना इरिटेट होते हुए बोली, “ठीक है, बोलो… आज क्या टॉर्चर है?”
अर्ध ने एक डॉक्यूमेंट उसकी तरफ स्लाइड किया और बोला, “क्रॉस एग्ज़ामिनेशन ड्राफ्ट। अभी… विदाउट कंप्लेनिंग।”
फना ने डॉक्यूमेंट हाथ में लिया और बड़बड़ाकर बोली, “ये आदमी मेरे शिकायत करने पर तो ऐसे पाबंदी लगाता है जैसे इसमें खुद शिकायत करने का ठेका ले रखा हो… खुद तो इतनी कंप्लेंट करता है जिसकी कोई गिनती नहीं है।”
अर्ध ने उसकी तरफ देखा और सर्द आवाज़ में बोला, “कुछ कहा?”
फना मुस्कुराकर बोली, “हां, आपकी तारीफ कर रही थी… आप कितने स्वीट हो।
अर्ध ने घूर कर उसे देखा और बोला, “Liar।”
फना जबरदस्ती के दांत दिखाते हुए बोली, “आपको कैसे पता कि मैं झूठ बोल रही हूं?”
अर्ध उसकी आंखों में देखते हुए बोला, “क्योंकि तुम जब झूठ बोलती हो तो तुम्हारी आंखों में झूठ नज़र आता है… और जब सच बोलती हो तो सच्चाई दिखाई देती है।”
फना एक पल के लिए उसे देखती रह गई। वो धीरे से बोली, “Over-observant psycho।”
ये बात उसने धीरे से बोली जरूर थी, लेकिन अर्ध ने सुन लिया था। वो उसे घूरते हुए बोला, “Language।”
फना मुस्कुराकर बोली, “तुम्हें किस किस्म की लैंग्वेज पसंद है? ‘Yes, sir’ वाली? अफसोस वो मुझे आती नहीं है।”
अर्ध ने गहरी सांस ली और हल्का सा उसके करीब झुककर बोला, “मुझे बस काम पसंद है… बाकी के नाटक अपने दोस्तों के लिए बचाकर रखो।”
और इतना बोलकर वो रुका, तो फना उसकी तरफ देखकर बोली, “और क्या?”
अर्ध की आवाज़ थोड़ी सी धीमी हो गई। वो धीमी मगर सर्द आवाज़ में बोला, “अगर फिर से काम के लिए देर हुई, तो इस बार मैं तुम्हें समझाऊंगा नहीं… डायरेक्टली पनिशमेंट दूंगा। ये बात नोट कर लो।”
फना अब चुपचाप अपना काम शुरू कर चुकी थी।
कुछ देर बाद वो अर्ध को देखकर बोली, “तुमने जो ये पॉइंट्स दिए हैं, उनमें फोर्थ पॉइंट गलत है।”
अर्ध ने बिना उसकी तरफ देखे कहा, “नहीं, वो सही है।”
फना ने उसे देखा और जल्दी से बोली, “कहा ना, वो गलत है। मैं भी लॉ पढ़ती हूं, एस्ट्रोलॉजी नहीं।”
अर्ध ने नजरें उठाकर उसे देखा और इरिटेट होकर बोला, “और मैं यहां तुम्हारा होरोस्कोप नहीं बना रहा… case law बता रहा हूं। चेक कर लो।”
फना कॉन्फिडेंट होकर बोली, “मैंने चेक ही तो किया है। गलत है।”
अर्ध गहरी सांस लेकर बोला, “Proof।”
फना ने तुरंत उसकी तरफ वो ड्राफ्ट बढ़ाया और बोली, “ये देखो ये वाला judgement, ये वाला statute… ये दोनों तुम्हारा पॉइंट काट रहे हैं।”
अर्ध ने उसकी तरफ देखा और बोला, “Open page 47।”
फना कुछ पलों तक उसे देखती रही और तुरंत 47 पेज खोलकर देखा… तो उसके एक्सप्रेशन बदल गए। वो जितना कॉन्फिडेंट थी, यहां उतनी ही गलत साबित हो गई थी। उसका मुंह थोड़ा खुला रह गया था।
अर्ध अपने दोनों हाथ फोल्ड करते हुए बोला, “Say it।”
फना ने उसकी तरफ देखा और बोली, “क्या?”
अर्ध ने एक आईब्रो ऊपर उठाई और बोला, “You know what।”
फना मुंह बनाकर बोली, “तुम सही थे।”
अर्ध मुस्कुराकर बोला, “थोड़ा ज़ोर से।”
फना इरिटेशन के साथ बोली, “तुम सही थे! अब खुश?”
अर्ध मुस्कुराकर बोला, “बहुत खुश।”
फना अब चुपचाप अपने काम में लग गई थी। लगभग 2 घंटे बाद उसने उबासी ली और बोली, “एक कॉफी ब्रेक ले लो। तुम तो मज़दूरों की तरह काम करवाते हो… भूख भी लगी है। तुम्हें भूख-प्यास नहीं लगती क्या? या फिर बस रोबोट की तरह काम करना आता है?”
अर्ध उसे देखकर बोला, “सिर्फ 20 मिनट हैं तुम्हारे पास। कॉफी पीनी है, कॉफी पियो… खाना है, खाओ… जो करना है करो। 20 मिनट के अंदर तुम मुझे मेरे सामने चाहिए। क्योंकि उसके बाद हम क्रॉस एग्ज़ामिनेशन की प्रैक्टिस शुरू करेंगे… और तुम विटनेस बनोगी।”
फना मुंह बनाकर बोली, “जोकर बना दो…”
अर्ध उसी टोन में बोला, “ज़रूरत नहीं है, वो तुम ऑलरेडी हो।”
उसकी बात सुनकर फना उसे घूरने लगी। वो अपनी जगह से खड़ी हुई और बाहर की तरफ जाते हुए बोली, “जो खुद जोकर होते हैं, वो दूसरों को समझते हैं।”
इतना बोलकर वो वहां से बाहर निकल गई। अब अर्ध कुछ बोला नहीं था क्योंकि वो जा चुकी थी।
लगभग 20 मिनट बाद —
फना अभी तक कैंटीन में ही थी। वो खुद से बोली, “क्या करूं यार? मिस्टर ओवर रूल्स के पास हमेशा कुछ न कुछ टन मारता रहता है। पक चुके हो मैं! उसकी बकवास सुनकर क्या करूं? मैं कुछ तो करना पड़ेगा। मैं उसे और ज्यादा टॉलरेट नहीं कर सकती।”
ये बोलते हुए उसके चेहरे पर फ्रस्ट्रेशन साफ़ नज़र आ रही थी। लेकिन कर भी नहीं सकती थी उसे वापस तो जाना ही था। नहीं जाती, तो हो सकता था थोड़ी देर में अर्ध यहां टपक पड़ता।
वो फ्रस्ट्रेशन के साथ उठी और ट्रायल रूम की तरफ बढ़ गई। जैसे ही वो अंदर पहुंची, उसने देखा अर्ध उसी का इंतज़ार कर रहा था।
अर्ध ने टाइम देखा और बोला, “5 मिनट लेट हो। 20 मिनट का टाइम दिया था।”
फना उसके सामने आकर खड़ी हुई और गहरी सांस लेकर बोली, “मैं कोई क्लॉक नहीं हूं जो हर काम टाइम पर करूं। एक-दो मिनट इधर-उधर हो जाता है।”
अर्ध उसे घूरते हुए बोला, “एक-दो मिनट इधर-उधर हो जाता है? अगर कोई काम टाइम पर नहीं कर सकती, तो अपना ऑक्यूपेशन बदल लो। लॉ की जगह कुछ और पढ़ाई कर लो, क्योंकि यहां पंक्चुअलिटी मैटर करती है। समझी? अब जाओ, विटनेस बॉक्स में खड़ी हो।”
फना चुपचाप जाकर अपनी जगह खड़ी हो गई। अर्ध उसके सामने आकर खड़ा हुआ। उसके हाथ में नोट्स थे।
अर्ध ने बेहद प्रोफेशनली कहा, “Your name?”
फना उसे अजीब सी नज़रों से देखते हुए बोली, “तुम मुझे जानते नहीं हो क्या?”
अर्ध ने गहरी सांस लेकर कहा, “यहां विटनेस हो तुम। सवाल पूछ रहा हूं, जवाब दो।”
फना मुंह बनाकर बोली, “फना खुराना।”
अर्ध ने एक नज़र उसे देखकर पूछा, “Occupation?”
फना अजीब से एक्सप्रेशन के साथ बोली, “Surviving your attitude.”
जैसे ही अर्ध ने उसका जवाब सुना, वो कुछ पल के लिए रुक गया। अनजाने में ही उसके होठों पर हल्की सी हंसी आ गई, लेकिन उसने खुद को संभाल लिया और चेहरा फिर से सख्त कर लिया।
वो उसे घूरते हुए बोला, “Seriously?”
फना तुरंत बोली, “तुमने मुझे पूछा तो मैंने बता दिया। वैसे वही कर रही हूं — तुम्हारा एटीट्यूड झेल रही हूं।”
अर्ध ने फाइल बंद की और बोला, “इस तरह से क्रॉस-एग्ज़ामिनेशन होता है?”
फना मुस्कुराकर बोली, “तो फिर कैसे होता है?”
अर्ध अपने दांत पीसते हुए बोला, “Cross-examination डिसिप्लिन से होता है। कॉमेडी शो नहीं है। और तुम्हें तो बेसिक डिसिप्लिन की स्पेलिंग भी शायद नहीं आती।”
फना हल्का सा झुककर उसके सामने आई और बोली, “और तुम्हें बेसिक मैनर्स की स्पेलिंग नहीं आती। तो हम दोनों बराबर हैं।”
अर्ध बेहद सख्त आवाज़ में बोला, “नहीं, हम बराबर नहीं हैं।”
फना ने अपनी एक आइब्रो उठाई और बोली, “सच में? कैसे?”
अर्ध उसकी आंखों में देखकर बोला, “I am your senior.”
फना जल्दी से बोली, “And I am your headache right.”
शाम का वक्त।
कॉलेज आवर खत्म हो चुके थे और फना नंदिनी के साथ हॉस्टल की तरफ जा रही थी। तभी नंदिनी की नजर एक पोस्ट पर गई। वो एक्साइटेड होते हुए बोली, “बाइक रेस! Wow, मतलब यहां जाना तो बनता है।”
फना ने अजीब सी नजरों से उसे देखा और बोली, “कहां जाना बनता है? कहीं नहीं जा रहे हैं हम। चुपचाप हॉस्टल चलो।”
नंदिनी जल्दी से बोली, “हां हां, फिलहाल तो हॉस्टल ही जा रहे हैं, लेकिन आज रात को मैं ये बाइक रेस देखने जरूर जाऊंगी। और तुम भी चलोगी मेरे साथ। ट्रस्ट मी मजा आएगा।”
फना अपना सिर हिला कर बोली, “मुझे इन सारी चीजों में कोई इंटरेस्ट नहीं है। वैसे ही पूरा दिन वो Mr. Overruled मेरा दिमाग खराब करता रहता है और रात को मैं ये फालतू की बाइक रेस देखने में अपना टाइम वेस्ट नहीं कर सकती।”
ये बोलते हुए वो वहां से आगे बढ़ गई।
नंदिनी खुद से बोली, “तुम्हें तो मैं अपने साथ ले जाकर रहूंगी। तुम कुछ भी बोलो… जाओगी तो तुम मेरे साथ ही।”
ये बोलते हुए वो मुस्कुरा कर फना के पीछे-पीछे चली आई।
वहीं दूसरी तरफ।
अर्ध इस वक्त ओबेरॉय मेंशन में था और उसके सामने एक औरत खड़ी हुई थी। वो अपनी दोनों हाथ बंधे उसे औरत को देख रहा था।
वो औरत हल्की नाराजगी में बोली, “कभी तुम अपने मॉम-डैड को टाइम दोगे, या पूरे टाइम बस अपने कॉलेज… में रहोगे? या फिर रात को सड़कों पर आवारा-गर्दी करोगे?”
अर्ध धीरे से बोला, “Come on, मॉम… उसे आवारा-गर्दी करना नहीं कहते। आपको पता है ना कि मुझे बाइक रेसिंग का शौक है, तो बस अपनी हॉबीज़ को एंजॉय करता हूं। और आप तो ऐसे बोल रही हैं जैसे मैंने आपको टाइम नहीं दिया। बाकी का टाइम आपका ही है ना?”
वो औरत और कोई नहीं बल्कि अश्क थी अर्ध की मां।
अर्ध उसके सामने आकर खड़ा हुआ और उसके चेहरे को बेहद प्यार से अपने हाथों में थामते हुए बोला, “जानता हूं कि आपकी ये फ्रस्ट्रेशन क्यों निकल रही है। डैड बाहर गए हुए हैं, लेकिन डोंट वरी… वो कल तक वापस आ जाएंगे। तो आपको जितना झगड़ा करना है, उनसे कीजिए। उनके फ्रस्ट्रेशन आप मेरे ऊपर क्यों निकाल रही हैं?”
अश्क जल्दी से बोली, “मैं किसी की फ्रस्ट्रेशन किसी और के ऊपर नहीं निकाल रही हूं। बस जो सच है वो बोल रही हूं। By the way पढ़ाई कैसी चल रही है? वैसे सवाल पूछने का मतलब तो नहीं बनता, फिर भी पूछ रही हूं। जानती हूं कि तुम हमेशा टॉप करते हो।”
अर्ध धीरे से बोला, “फिर आप क्यों पूछ रही हैं? इस साल भी आपका बेटा टॉप ही करेगा, डोंट वरी। लेकिन कुछ सर-दर्द मेरे सर पर आकर बैठ गए… उसे भी साथ में हैंडल करना पड़ेगा।”
अश्क जल्दी से बोली, “सर दर्द? क्या मतलब है तुम्हारा?”
तो अर्ध अश्क को वहां से सोफे की तरफ ले जाते हुए बोला, “छोड़िए ना आप। उस बारे में जानकर क्या करेंगी? वो मैं हैंडल कर लूंगा।”
ये बोलते हुए वो दोनों सोफे पर आकर बैठे और एक-दूसरे से बात करने लगे।
तभी एक लगभग अर्ध की उम्र का लड़का सीटी बजाते हुए अंदर आया और बोला, “Bro, आज का क्या सीन है? चल रहे हो या नहीं? मतलब, आपके ऊपर क्या पैसा लगाया है लोगों ने?”
जैसे ही उसकी बात अश्क ने सुनी, उसने घूरकर अर्ध को देखा तो अर्ध उस लड़के दक्षय को अपनी आंखें दिखाने लगा।
अश्क अर्ध को देखकर बोली, “तो तुम लोग इलीगली बाइक रेस कर रहे हो? और पैसा… जुआ खेल रहे हो? सट्टा लगा रहे हो, तुम?”
अर्ध जल्दी से बोला, “Mom, आपको कोई मिसअंडरस्टैंडिंग हुई है। ऐसा कुछ नहीं है। ये दक्षय कुछ भी बकवास करता है। वैसे आप तो आज इश्वी आंटी से मिलने जाने वाली थीं ना?”
दक्षय अश्क के पास आते हुए बोला, “हां, मॉम आपका वेट कर रही थीं। उन्होंने कहा था कि आप आने वाले हो।”
अश्क धीरे से बोली, “हां, वो तो मैं भूल गई। ठीक है, मैं निकलती हूं। और तुम ध्यान रखना। आगे से मुझे कोई शिकायत नहीं मिलनी चाहिए।”
इतना बोलकर वो वहां से चली गई।
अर्ध ने दक्षय के कान को पकड़ा और बोला, “क्या जरूरत थी मॉम के सामने ये बोलने की?”
तो दक्षय धीरे से बोला, “तो क्या हो गया? हम सच बता देते कि जो पैसा हमें बाइक रेसिंग में मिलता है, वो हम आर्फनेज’ में दे देते हैं। बात खत्म।
वैसे चल वरना लेट हो जाएंगे और सब तेरा इंतजार कर रहे होंगे। आखिरकार तू चैंपियन जो है।”
रात का वक्त शहर की सड़कों पर हल्की सी धुंध फैल चुकी थी। एक ठंडा माहौल था। वही एक पुरानी फैक्ट्री के पीछे सुनसान एरिया में दर्जनों बाइक लाइन से खड़ी थीं। वहां एक अलग ही माहौल था।
काफी सारे लोग जमा थे लड़के, लड़कियां और अलग-अलग गैंग से लोग आए थे। शायद वहां बाइक रेसिंग हो रही थी।
तभी अचानक से सबकी नजर एक तरफ चली गई, जहां से एक matte ब्लैक बाइक काफी स्पीड में आ रही थी, और उसके साथ एक और बाइक थी। वो दोनों वहां बीच में आकर रुके।
उस ब्लैक बाइक पर बैठे लड़के ने अपना हेलमेट निकाला। तो वो और कोई नहीं बल्कि अर्ध ओबेरॉय था, और दूसरे पर था दक्षय।
अर्ध सबको देखकर बोला, "किसने कहा था कि मैं आज नहीं आऊंगा?"
तभी एक लड़का आगे बढ़ा और बोला, "भाई, आज दाव बड़ा है। अपोनेंट नया है। बोलते हैं कि वो तुम्हें हरा देगा।"
उसकी बात सुनकर अर्ध की होठों पर तिरछी मुस्कुराहट आई। आगे वो मुस्कुरा कर बोला, "हर साल कोई ना कोई ये बोलता है। हर साल मैं उन्हें गलत साबित करता हूं। इस साल भी कुछ नया नहीं होने वाला।
तभी दक्षय एकदम से बोला, "ब्रो, आज तो फिर से ये साबित कर दे कि तू चैंपियन है।"
अर्ध हंसते हुए बोला, "मैं रेस किसी को साबित करने के लिए नहीं करता, सिर्फ अपने थ्रिल के लिए करता हूं। बाकी जीत तो मेरी ही होगी, बस तुम इंजॉय करो।"
वहीं दूसरी तरफ नंदिनी फना का हाथ पकड़े हुए, भीड़ को चीरते हुए आगे बढ़ रही थी। फना इरिटेट होकर बोली, "नंदिनी, मुझे नहीं पता, लेकिन मुझे ये कुछ अच्छा नहीं लग रहा है। ये ठीक नहीं है। डेंजरस लग रहा है। चल, यहां से।"
तो नंदिनी जल्दी से बोली, "प्लीज़, 5 मिनट देख लेना, फिर चाहे तो वापस चले जाएंगे।"
ये बोलते हुए वो लोग आगे आकर खड़े हो गए।
तभी बनी की नजरें एक तरफ जाकर ठहर गईं — बाइक पर बैठे अर्ध पर। वो हैरानी से अर्ध को देख रही थी। वो धीरे से बोली, "Mr. Overruled, यहां , ये यहां क्या कर रहा है? ओ माय गॉड! सीरियसली, कॉलेज में तो लॉ का गॉड बना घूमता है, और यहां इलीगल बाइक रेसिंग कर रहा है।"
तभी अर्ध को कुछ महसूस हुआ और उसने अपनी नज़रें चारों तरफ घुमाई। तो उसकी नज़रें भी पनाह पर जाकर ठहर गईं। वो भी हैरानी से फना को देख रहा था। उसे आइडिया नहीं था कि वो यहां होगी।
तभी नंदिनी एकदम से उछलते हुए बोली, "तेरा Mr. Overruled, हाय! कितना हैंडसम लग रहा है। कॉलेज में तो एक कर उठना है, और यहां तो फिर जान लेने का…"
फना के एक्सप्रेशन पूरी तरह से बदल चुके थे। उसने नंदिनी को घूर कर देखा और बोली, "जान देने का इतना ही शौक है, तो जाकर कुएं में कूद जा। किसी को देखकर जान चली जाए तो लानत है तेरी जान पर।
और ये आदमी… इसे तो मैं कल कॉलेज में देखती हूं, बड़ा देवता बना घूमता है, और यहां ऐसे काम कर रहा है। इन्लीगल सीरियसली।"
फना को बड़बड़ाते हुए देखकर अर्ध के होठों पर तिरछी मुस्कुराहट आ गई। वो उसे देखकर मुस्कुरा रहा था, तो उसने अपनी नज़रें दूसरी तरफ कर ली।
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